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Wednesday, April 10, 2019

Top 50 Epictetus Status in Hindi and English 2022 [Unique & Fresh]



Epictetus Status in Hindi 2022: We Have Created Sad & Emotional Whatsapp Status, You Will Get All Type Of Best Emotional Status in Hindi, You Can Use Them On Your Social Media. Emotional Love Status for Facebook, Emotional Sad Status Two Lines

Epictetus Status in English 2022

Epictetus Status in Hindi 2022


  1. यदि कोई तुम्हें बताये कि अमुक व्यक्ति तुम्हारे बारे में बुरा कह रहा है तो उसका प्रतिवाद मत करो, बल्कि उससे कहो, “हाँ, वह मेरे अन्य दोष नहीं जानता अन्यथा उसने उनका भी उल्लेख किया होता”.
  2. अपनी दुर्दशा के लिए दूसरों को उत्तरदायी ठहराने से यह पता चलता है कि व्यक्ति में सुधार की आवश्यकता है. स्वयं को दोषी ठहराने से यह पता चलता है कि सुधार आरंभ हो गया है. और किसी को भी दोषी नहीं ठहराने का अर्थ यह है कि सुधार पूर्ण हो चुका है.
  3. संकट जितना गहन होता है, उसे विजित करने पर प्राप्त होनेवाला गौरव उतना ही विशाल होता है. तूफानों और झंझावातों का सामना करने से ही नाविकों का कौशल प्रकट होता है.
  4. एक दिन मैं मर जाऊँगा. तो क्या मैं विलाप करते हुए मरूं? मुझे कभी बेड़ियों में जकड़ दिया जाए तो क्या मैं उसका भी शोक मनाऊँ? यदि मुझे कभी देशनिकाला भी मिल जाए तो क्या मैं अपनी मुस्कुराहटों, प्रसन्नता, और संतुष्टि से भी वंचित कर दिया जाऊं?
  5. प्रसन्नता का एक ही मार्ग है, और वह यह है कि हम उन विषयों की चिंता न करें जो हमारे संकल्प और शक्तियों के परे हैं.
  6. यदि तुम स्वयं में सुधार लाना चाहते हो तो दूसरों की दृष्टि में मूढ़ ही बने रहने से परहेज़ न करो.
  7. संपन्नता अधिकाधिक अर्जन में नहीं बल्कि अल्प आवश्यकताओं में निहित है.
  8. उन व्यक्तियों के साथ संयुक्त रहो जो तुम्हें ऊपर उठाते हों एवं जिनकी उपस्थिति में तुम अपना सर्वोत्कृष्ट दे सको.
  9. स्वर्ण पदक एक अद्भुत चीज है, लेकिन अगर आप पदक के बिना संतुष्ट नहीं हैं, तो आप इसे पाकर भी संतुष्ट नहीं होगें।
  10. वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है जो उन चीजों के लिए शोक नहीं करता है जो उसके पास नहीं हैं, बल्कि उन चीजों के लिए खुश रहता है जो उसके पास हैं।
  11. प्रसन्नता का एक ही मार्ग है, और वह यह है कि हम उन विषयों की चिंता न करें जो हमारे संकल्प और शक्तियों के परे हैं.
  12. . संपन्नता अधिकाधिक अर्जन में नहीं बल्कि अल्प आवश्यकताओं में निहित है.
  13. यदि तुम स्वयं में सुधार लाना चाहते हो तो दूसरों की दृष्टि में मूढ़ ही बने रहने से परहेज़ न करो.
  14. अपने दर्शन की व्याख्या नहीं करो, उसे जियो.
  15. उन व्यक्तियों के साथ संयुक्त रहो जो तुम्हें ऊपर उठाते हों एवं जिनकी उपस्थिति में तुम अपना सर्वोत्कृष्ट दे सको.
  16. यदि कोई तुम्हें बताये कि अमुक व्यक्ति तुम्हारे बारे में बुरा कह रहा है तो उसका प्रतिवाद मत करो, बल्कि उससे कहो, “हाँ, वह मेरे अन्य दोष नहीं जानता अन्यथा उसने उनका भी उल्लेख किया होता”.
  17. दूसरों की धारणाएं एवं समस्याएं संक्रामक हो सकती हैं. उन्हें अनजाने में ही अपनाकर स्वयं की हानि मत करो.
  18. जो व्यक्ति स्वयं पर हँस सकता हो उसे हँसने के लिए विषयों की कमी कभी नहीं होती.
  19. अपनी दुर्दशा के लिए दूसरों को उत्तरदायी ठहराने से यह पता चलता है कि व्यक्ति में सुधार की आवश्यकता है. स्वयं को दोषी ठहराने से यह पता चलता है कि सुधार आरंभ हो गया है. और किसी को भी दोषी नहीं ठहराने का अर्थ यह है कि सुधार पूर्ण हो चुका है.
  20. कुछ भी कहने से पहले तुम उसका अर्थ समझ लो, फिर कहो.
  21. परिस्थितियां मनुष्य का निर्माण नहीं करतीं. वे तो उसे स्वयं से परिचित कराती हैं.
  22. मनुष्य वास्तविक समस्याओं के कारण नहीं बल्कि उनके बारे में अपने दिमागी फितूर के कारण चिंतित रहता है.
  23. संकट जितना गहन होता है, उसे विजित करने पर प्राप्त होनेवाला गौरव उतना ही विशाल होता है. तूफानों और झंझावातों का सामना करने से ही नाविकों का कौशल प्रकट होता है.
  24. तुम्हारे भीतर क्रोध उत्पन्न करनेवाला व्यक्ति तुमपर विजय प्राप्त कर लेता है.
  25. यदि कोई तुम्हें बुरा कहे, और वह बात सत्य हो, तो स्वयं में सुधार लाओ. यदि वह झूठ हो तो उसे हंसी में उड़ा दो.
  26. बाहरी वस्तुओं में श्रेष्ठता मत खोजो, वह तुम्हारे भीतर होनी चाहिए.
  27. ईश्वर या तो बुराई को मिटा सकता है या नहीं मिटा सकता… या वह मिटा सकता है, पर मिटाना नहीं चाहता.
  28. वह मनुष्य स्वतंत्र नहीं है जो स्वयं का स्वामी नहीं है.
  29. एक दिन मैं मर जाऊँगा. तो क्या मैं विलाप करते हुए मरूं? मुझे कभी बेड़ियों में जकड़ दिया जाए तो क्या मैं उसका भी शोक मनाऊँ? यदि मुझे कभी देशनिकाला भी मिल जाए तो क्या मैं अपनी मुस्कुराहटों, प्रसन्नता, और संतुष्टि से भी वंचित कर दिया जाऊं?
  30. लोग सोचते हैं कि वे उससे संतुष्ट नहीं हैं जो उनके पास है लेकिन सही मायनों में वे उससे संतुष्ट नहीं हैं जो वे हैं।
31.
Fortify thyself with contentment: that is an impregnable stronghold.

32.
Show your intelligence by listening as twice as you can talk, simply because we have two ears and one tongue.

33.
It is impossible for a man to learn what he thinks he already knows.

34.
It’s not what happens to you, but how you react to it that matters.

35.
If anyone tells you that a certain person speaks ill of you, do not make excuses about what is said of you but answer, “He was ignorant of my other faults, else he would not have mentioned these alone.

36.
He who laughs at himself never runs out of things to laugh at.

37.
Difficulty shows what men are.

38.
No great thing is created suddenly.

39.
Do not try to seem wise to others.

40.
Wealth consists not in having great possessions, but in having few wants.

41.
First, say to yourself what you would be, and then do what you have to do.

42.
Any person capable of angering you becomes your master; he can anger you only when you permit yourself to be disturbed by him.

43.
Only the educated are free.

44.
He is a wise man who does not grieve for the things which he has not, but rejoices for those which he has.

45.
If evil be spoken of you and it is true, correct yourself, if it is a lie, laugh at it.

46.
Is freedom anything else than the right to live as we wish? Nothing else.

47.
Don’t live by your own rules, but in harmony with nature.

48.
If you wish to be a writer, write.

49.
There is only one way to happiness and that is to cease worrying about things which are beyond the power or our will.

50.
Man is not worried about real problems so much as by his imagined anxieties about real problems

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