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Thursday, April 11, 2019

Top 120 Gulzar Status in English 2022 [Unique & Fresh]



Gulzar Status in English 2022: We have listed and collected Gulzar Status in Hindi in one serial. Finally, after so much research we manage to publish this collection of Quotes.

Gulzar Status in Hindi 2022

Gulzar Status in English 2022


  1. शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है. दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
  2. मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
    ​बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
  3. आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई।
  1. मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
    हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
  2. वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
    आदत इस की भी आदमी सी है।
  3. ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
    क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
  4. हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
    रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
  5. आप के बाद हर घड़ी हम ने,
    आप के साथ ही गुज़ारी है।
  6. फिर वहीं लौट के जाना होगा,
    यार ने कैसी रिहाई दी है।
  7. कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
    भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।
  8. अच्छी किताबें और अच्छे लोग, तुरंत समझ में नहीं आते,
    उन्हें पढना पड़ता हैं।
  9. बहुत अंदर तक जला देती हैं,
    वो शिकायते जो बया नहीं होती।
  10. मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
    नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
  11. दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
    जैसे एहसान उतारता है कोई।
  12. कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
    और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
  13. उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
    ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
  14. सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
    कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।
  15. बिगड़ैल हैं ये यादे,
    देर रात को टहलने निकलती हैं।
  16. कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
    मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
  17. मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
    हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।
  1. दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
    इसका शायद कोई हल नहीं हैं।
  2. रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
    उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
  3. तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
    रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
  4. हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
    क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?
  5. कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
    जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।
  6. शायर बनना बहुत आसान हैं,
    बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
  7. वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
    हम भूल गए हैं रख के कहीं।
  8. कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
    किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
  9. बेहिसाब हसरते ना पालिये,
    जो मिला हैं उसे सम्भालिये।
  10. तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
    जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।
  11. कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं,
    ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।
  12. कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते,
    एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें।
  13. किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
    इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।
  14. शोर की तो उम्र होती हैं,
    ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।
  15. सीने में धड़कता जो हिस्सा हैं,
    उसी का तो ये सारा किस्सा हैं।
  16. एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
    मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
  17. ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
    एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
  18. जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
    उस ने सदियों की जुदाई दी है।
  19. सहमा सहमा डरा सा रहता है,
    जाने क्यूं जी भरा सा रहता है।
  20. कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
    जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो।
  21. मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,
    मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।
  22. कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
    ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।
  23. तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
    बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
  24. ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला,
    तमाम उम्र में दो चार छ: गिले भी नहीं।
  25. हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,
    वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
  26. रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो,
    दिन की चादर अभी उतारी है।
  27. आदतन तुम ने कर दिए वादे,
    आदतन हम ने ए'तिबार किया।
  28. ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
    बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।
  29. छोटा सा साया था, आँखों में आया था,
    हमने दो बूंदों से मन भर लिया।
  30. लोग कहते हैं मेरी आँखें मेरी माँ सी हैं
    यूं तो लबरेज़ हैं पानी से मगर प्यासी हैं
कान में छेद है पैदायशी आया होगा
तूने मन्नत के लिये कान छिदाया होगा
  1. बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार,
    मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है
  2. बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार,
    मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है
  3. सुनो….ज़रा रास्ता तो बताना.
    मोहब्बत के सफ़र से, वापसी है मेरी..
  4. कुछ अलग करना हो तो
    भीड़ से हट के चलिए,
    भीड़ साहस तो देती है
  1. अच्छी किताबें और अच्छे लोग
    तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
    उन्हें पढना पड़ता हैं
  1. सुनो…
    जब कभी देख लुं तुमको
    तो मुझे महसूस होता है कि
    दुनिया खूबसूरत है
  1. मैं दिया हूँ
    मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
    हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं
  2. बहुत अंदर तक जला देती हैं,
    वो शिकायते जो बया नहीं होती
  1. एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
    दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं!
  2. तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
    जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं
  3. घर में अपनों से उतना ही रूठो
    कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
    दोनों बरक़रार रह सके!
  4. कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते
    एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें
  5. कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती
    जब तक ख़ुद पर ना गुजरे
  6. शायर बनना बहुत आसान हैं
    बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए
  7. वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
    हम भूल गए हैं रख के कहीं
  1. तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
    रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं
  1. कैसे करें हम ख़ुद को
    तेरे प्यार के काबिल,
    जब हम बदलते हैं,
    तो तुम शर्ते बदल देते हो.
  2. तन्हाई की दीवारों पर
    घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
    बेबसी की छत के नीचे,
    कोई किसी को भूल रहा हैं
  3. किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
    इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं
  1. कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़,
    किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे
  1. सामने आया मेरे, देखा भी, बात भी की
    मुस्कुराए भी किसी पहचान की खातिर
    कल का अखबार था, बस देख लिया, रख भी दिया
    Gulzar Sahab
  2. हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
    वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते
    Gulzar Sahab
  3. लकीरें हैं तो रहने दो
    किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी
    उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं
  1. आदमी बुलबुला है पानी का
    और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है,
    फिर उभरता है, फिर से बहता है,
    न समंदर निगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है,
    वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का।
  2. बीच आसमाँ में था
    बात करते- करते ही
    चांद इस तरह बुझा
    जैसे फूंक से दिया
    देखो तुम….
    इतनी लम्बी सांस मत लिया करो
  3. सूरज झांक के देख रहा था खिड़की से
    एक किरण झुमके पर आकर बैठी थी,
    और रुख़सार को चूमने वाली थी कि
    तुम मुंह मोड़कर चल दीं और बेचारी किरण
    फ़र्श पर गिरके चूर हुईं
    थोड़ी देर, ज़रा सा और वहीं रूकतीं तो
  4. आओ तुमको उठा लूँ कंधों पर
    तुम उचकाकर शरीर होठों से चूम लेना
    चूम लेना ये चाँद का माथा
    आज की रात देखा ना तुमने
    कैसे झुक-झुक के कोहनियों के बल
    चाँद इतना करीब आया है
  5. ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ
    बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं
  1. बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायतें जो बयां नहीं होती।
  1. ज़िन्दगी सस्ती है साहब, जीने के तरीके महंगे हैं।
  2.  झूठे तेरे वादों पे बरस बिताये, ज़िन्दगी तो काटी, ये रात कट जाए।
  1. समेट लो इन नाजुक पलो को
    ना जाने ये लम्हे हो ना हो
    हो भी ये लम्हे क्या मालूम शामिल
    उन पलो में हम हो ना हो!
  2. हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको
    क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
  1. कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं
    ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक
  1. टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ
    में फिर से निखार जाना चाहता हूँ
    मानता हूँ मुश्किल हैं…
    लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ.
  2. चांदी उगने लगी है बालों में , के उम्र तुम पर हसीन लगती है ! (गुलज़ार शायरी एवं कोट्स)
  3. ज़ायका अलग सा है मेरे लफ़्ज़ों का, के कोई समझ नहीं पाता, कोई भूला नहीं पाता।
  1. उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और
    ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे
  1. कब आरहे हो मुलाकात के लिए, मैंने चाँद रोका है एक रात के लिए.
  2. तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आयी थी और चाँद भी था , हाँ मगर नींद नहीं।
  3. शर्त लगी है मर जाने की नीना है तो प्यार में देह कहीं भी हो मेरा, जान राखी है यार में।
  4. वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर.
इसकी आदत भी आदमी सी है।
  1. Kaun kehta hai hum jhooth nahi bolte..
Ek baar Khairiyat Pooch ke to dekhiye..

  1. Thoda Sukoon bhi dhoondhiye janab..
Yeh zarooratein to kabhi khatam nahi hongi..

  1. Sehma Sehma Dara sa rehta hai..
Jaane kyu Jee Bhara sa rehta hai.

  1. Tere Bina Zindagi se Koi..Shikwa to nahin..
Tere Bina zindagi bhi lekin..Zindagi to Nahin.

  1. थोड़ा सा रफू करके देखिये न
फिर से नै सी लगेगी, ज़िन्दगी ही तो है.
  1. Itna Kyu Sikhaye Jaa rahi hai Zindagi..
Humne kaunsi yahan sadiyan guzarni hain.

  1. Aaina dekh ke tasalli hui.
Hum ko is ghar me jaanta hai koi..

101.
Suicide is not all that easy a thing to do… to give up your life. What kind of pain compels people to do this? I don’t know what word to use in English… it’s horrifying that a human can be in this condition. What have they provided them with?

102.
I have one little complaint with the younger generation. They always look at the present as very shrunken and defective. It’s no good. The older generation may live in its past, in nostalgia. The streets were small, then. The homes were small. Life itself was small. Society was small. Nothing was open like it is today. Today is much bigger.

103.
I believe words should amaze or amuse. Only then will the listener want to understand the meaning of the song.

104.
When people meet me and call me by my real name, I don’t appreciate it. I feel as if they are boasting that they know my real name (Sampooran Singh Kalra).

105.
They say he’s watching us from the heavens. If he doesn’t answer, I tell him in this poem that I’m going to pull this curtain of the sky and forget about him. It is a way of expressing my anguish, written when I felt helpless.

106.
Everyday life is much more interesting to me than big, abstract theories. Through my poetry, I aim to reflect our times. I don’t want to dwell on the olden days, although it is a period I mention often.

107.
The tune. That’s what stays in your mind. When the tune starts galloping, you need reins to hold on to it. The words become useful there. They are the reins that allow you to ride the horse.

108.
Human relations do not always rely on meeting each other in person every day. When we talk about relationships between people on either side of the border, just a few thousand miles can’t keep love from growing and blooming into a beautiful bonding.

109.
I usually write words on the meter of the tune. It could be the other way round, and the composer will write the tune based on my words and meter.

110.
I feel that India’s story is like walking up a spiral on a mountain. You walk and walk and then you turn and you can see the sky.

111.
Your generation is very selfish. They don’t want India for its Ganga, but for their economic pride and self-respect. I’m hopeful because the chaos and crisis have reached a saturation point. This is our only chance. If it goes down a little bit more, then there is no scope. The youngsters have to realize that things are in their hands now.

112.
But when I get feedback from people that my imagery is difficult to understand, I get to know whether or not I communicated my thoughts well. A tree can’t grow by itself, it can only grow when someone prunes it.

113.
I want him to come and answer. He’s there, right? And if God is responsible for everything, why doesn’t he come and see it? And why doesn’t he answer how it can be his will to kill 150 children in Peshawar? That’s what they said about it, that it is God's will.

114.
The poems on fame are more of a question than an answer. I want to know what people see in me when they put that garland on me.

115.
I’m not that sophisticated.

116.
The poetry is always churning in my mind, and I got it down. I don’t need any special conditions in order to produce my work. I can write anywhere because just as life goes on all the time, this process of thinking and writing goes on alongside it.

117.
As a poet, I think I write intelligently, but I’m not an intellectual

118.
I have always said that in print, a poem needs space to breathe

119.
My father couldn’t understand what was the need for me to go away if I just wanted to write. He used to tell me, “Kitaaban likhniya be taa Ghar bai ke like le, par Hatti the taan Jaana paying (If you want to write books then do so sitting at home, but you have to go to the shop).”

120.
All I wanted was a moment alone, to sit and weep.

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